नवरात्रि (Shardiya Navratri Day 7) का त्योहार मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन, बुधवार, 9 अक्टूबर को, माता पार्वती के उग्र रूप मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें
- दिनभर उपवासी रहना शुभ है।
- देवी की आराधना में ध्यान और श्रद्धा रखें।
- मां के भोग में तिल और गुड़ का प्रयोग करें।
क्या ना करें
- इस दिन किसी भी प्रकार का मांस, अंडा या नकारात्मक चीज़ें न खाएं।
- नकारात्मकता और विवाद से दूर रहें।
पूजा की विधि
- स्नान और स्वच्छता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थान की सजावट: मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति को साफ स्थान पर स्थापित करें।
- कलश स्थापना: पूजा स्थान पर कलश रखें और उसमें जल भरें।
- आसान और फूल: देवी के समक्ष एक आसान बिछाएं और उस पर लाल या काले रंग के फूल रखें।
- भोग: इस दिन मां को तिल, गुड़, खीर और अन्य शुद्ध वस्तुएं भोग में अर्पित करें।
मां कालरात्रि की पूजा: अनुष्ठान और लाभ
नवरात्रि के सातवें दिन, मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है। मां कालरात्रि को अंधकार और नकारात्मकता का नाशक माना जाता है। इस दिन उनकी आराधना से भक्तों को अनेक लाभ मिलते हैं।
- धार्मिक पाठ: इस दिन दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करें। ये पाठ देवी की महिमा को उजागर करते हैं और भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
- आरती और जयकारे: पूजा समाप्त होने के बाद, परिवार के साथ मिलकर मां कालरात्रि की आरती करें और जयकारे लगाएं। इससे मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्त के सभी संकट दूर होते हैं।
मां कालरात्रि का मंत्र
मंत्र जप: मां कालरात्रि की पूजा में ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ मंत्र का जप अवश्य करें। यह मंत्र विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। इसे ध्यान और श्रद्धा के साथ जपें।
पूजा के लाभ
- संकट से मुक्ति: मां कालरात्रि की सच्चे मन से की गई पूजा से भक्त को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: उनका ध्यान करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
- नकारात्मकता का नाश: मां की कृपा से जीवन से नकारात्मकता और भय का नाश होता है।
मां कालरात्रि की पूजा एक अद्भुत अनुभव है जो भक्त को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर सशक्त बनाती है। इस दिन मां की आराधना में पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जुटें और उनके आशीर्वाद का लाभ उठाएं।
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